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Sunday, April 28, 2024
लातेहार

लातेहार: लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय-खाय के साथ शुरू

लातेहार : लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। इस दिन से घर में शुद्धता का बहुत ध्यान रखा जाता है। छठ व्रत को कठिन तपस्या के रूप में माना जाता है। छठ व्रत मूल रूप से केवल महिलाओं द्वारा किया जाता है लेकिन कुछ पुरुष भी इस व्रत का पालन करते हैं। छठ का पहला दिन ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन शुद्ध भोजन से व्रत की शुरुआत की जाती है। मान्यता के अनुसार छठी मइया ने कार्तिकेय को दूध पिलाकर उनका पालन-पोषण किया था, इसी से छठ पर दूध से अर्घ्य देने की परंपरा शुरू हुई।

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इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर महिलाएं आम की लकड़ी से दातुन करती हैं। इसके बाद नहाने के बाद लौकी की सब्जी के साथ चने की दाल और चावल खाते हैं। इसमें संतान देने वाली छठी मइया और आरोग्य के दाता भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। व्रती खाने-पीने के साथ सात्विक जीवन जीते हैं, और खुद को सभी प्रकार की नकारात्मक भावनाओं से दूर रखते हैं।

सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना गया है। इसमें संतान देने वाली छठी मइया और आरोग्य देने वाले भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। ऐसे में लोग नदी में स्नान कर अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।

नहाय-खाय से पहले दिन की शुरुआत

छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इस दिन व्रत रखने वाले लोग नदी में स्नान करते हैं, जिसके बाद केवल एक ही समय का भोजन किया जाता है।

दूसरा दिन – खरना

छठ्ठी मइया की पूजा के दूसरे दिन को ‘खरना’ कहा जाता है। इस दिन विशेष भोग बनाया जाता है। इसके लिए शाम के समय मीठे चावल (चावल) या लौकी की खिचड़ी खाई जाती है। वहीं इस महाव्रत का तीसरा दिन दूसरे दिन के प्रसाद के तुरंत बाद शुरू होता है। आपको बता दें कि इस साल 2022 में खरना 29 अक्टूबर को है।

तीसरा दिन – अर्घ्य

छठ पूजा की हर विधि और नियम का अपना अलग धार्मिक और पौराणिक महत्व है। इस महापूजा के तीसरे दिन की भी अपनी महिमा है। पूजा के तीसरे दिन शाम को भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। इस दौरान सभी व्रती श्रद्धालु अपने बांस की टोकरियों में पूजा सामग्री के साथ फल, ठेकुआ और चावल के लड्डू रखते हैं। इस दौरान पूरे अर्घ्य सूप को भी सजाया जाता है।

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जब पूजा पूरी विधि-विधान से की जाती है तो व्रत रखने वाले सभी लोग अपने परिवार के साथ अस्ताचलगामी सूर्य यानि अस्त होते सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। यानी इस दिन डूबते सूर्य की पूजा की जाती है। छठ पूजा का पहला अर्घ्य इस साल 30 अक्टूबर को दिया जाएगा। इस दिन सूर्यास्त का समय 05:34 से शुरू होगा।

चौथा दिन – उगते सूर्य को अर्घ्य

चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यह अर्घ्य लगभग 36 घंटे के उपवास के बाद दिया जाता है। 31 अक्टूबर को उगते सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय शाम 6.27 बजे होगा। इस उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद इस महापर्व और छठ मैया का व्रत समाप्त हो जाएगा।