राधेश्याम से बना 25 लाख का इनामी माओवादी विमल यादव ने पुलिस के समक्ष किया आत्मसमर्पण
Jharkhand Naxalite Surrender
रांची : 25 लाख के इनामी नक्सली विमल यादव उर्फ उमेश यादव उर्फ राधेश्याम ने शुक्रवार को आईजी कार्यालय में अधिकारियों के समक्ष समर्पण कर दिया। माओवादी संगठन से जुड़े विमल यादव ने 90 के दशक में कुरियर बॉय का काम शुरू किया था। वहीं से वह आज के समय में 25 लाख का इनामी नक्सली बन गया।
मूल रूप से सलेमपुर थाना, करौना जिला, जहानाबाद, बिहार के रहने वाले विमल यादव अरविंद की मौत के बाद कमान संभाल रहे थे। माओवादियों के लिए सबसे सुरक्षित माने जाने वाले बूढ़ा पहाड़ इलाके में विमल काफी कद का माना जाता था।
2005 में सब-जोनल कमांडर बने, 2009 में जोनल कमांडर, 2011 में रीजनल सदस्य, 2012 में सैक सदस्य, दिसंबर 2018 में प्लाटून, 2019 में सुधाकरन की मृत्यु के बाद प्लाटून की कमान संभाली।
विमल यादव उर्फ राधेश्याम यादव उर्फ उमेश यादव के घर का नाम राधेश्याम यादव था। जब वे संगठन से जुड़े तो विमल यादव नाम दिया गया। 1993 में विमल इंटर का छात्र था। उस समय चचेरे भाई रामबालक प्रसाद यादव और बेचन यादव से जमीन का विवाद चल रहा था. इस वजह से मजदूर किसान संग्राम समिति में काम करने लगा।
उसके बाद वह किसान संगमी परिषद का सक्रिय सदस्य रहा। 1999 में निशांत उर्फ अरविंद से मिलने के बाद, वह भाकपा-माओवादी के सक्रिय सदस्य के रूप में एक कूरियर के रूप में काम करना शुरू किया।
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