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डॉक्टर्स डे पर विशेष: अपनी एक विफलता से आलोचनाओं का शिकार हो रहे डॉक्टर्स!

भारत में हर साल 1 जुलाई को डॉक्टर दिवस मनाया जाता है। डॉ बिधान चंद्र रॉय द्वारा दिए गए योगदान के लिए हम इस दिन उनके सम्मान के रूप में उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। वे चिकित्सक तथा स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्हें वर्ष 1961 में भारत रत्न से सम्मनित किया गया था।

जब तक आप बीमार या घायल नहीं हो जाते

चिकित्सक कितने महत्वपूर्ण, कीमती और आवश्यक सक्षम चिकित्सक हैं, यह हमें समझ नहीं आता है। ‘डॉक्टर्स डे’ मेहनती डॉक्टरों पर ध्यान केंद्रित करता है और हमें आग्रह करता है कि वे ऐसे ही हमारे लिए काम करें, उनकी करुणा, और दवा का असर हमारे स्वसत्य को ठीक करने में लगा रहे।

देश के अलग-अलग हिस्सों के अस्पतालों और क्लीनिकों में डॉक्टर दिवस पर लोग अपने डॉक्टरों और चिकित्सकों को श्रद्धांजलि देते है और उनकी कड़ी मेहनत, प्रतिबद्धता से एक बेहतर और स्वस्थ समाज विकसित करने के प्रयासों के लिए उन्हें याद भी किया जाता है।

हालांकि विभिन्न कारकों के कारण हाल के दिनों में डॉक्टर और एक रोगियों के बीच रिश्ते बिगड़ते नज़र आ रहे हैं। क्योंकि विभिन्न माध्यमों से चिकित्सा संबंधी जानकारी के बारे में ग़लत तरीके से गलत जानकारी दी जा रही हैं।

उनकी सफलता की दर को देखने के बजाय एक विफलता उन्हें आलोचना का शिकार बना रही है। जहां उनकी कड़ी मेहनत को नज़र अंदाज़ कर दिया जाता है।

इस प्रकार डॉक्टरों को अपनी जिम्मेदारियों को महसूस करने के अलावा लोगों को भी इसे पहचानना चाहिए और समझना चाहिए कि वे भी एक इंसान हैं बल्कि डॉक्टर लोगों के स्वास्थ्य की भलाई के लिए जो प्रयास करते हैं। उनके इस महान काम के लिए हमें उनकी सराहना करना चाहिए।

पिछले कुछ सालो में दुनिया में जब करोना जैसी बीमारी ने हड़कंप मचाया तब डॉक्टरों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए समाज कल्याण में अपने आप को झोंक दिया। कई डॉक्टर इस बीमारी की चपेट में आकर अपनी जान तक गवा दी। कोरोना के भयावह माहौल में जहां लोग घर से नहीं निकलते थे वही डॉक्टर इस सदी के हीरो के रूप में वह हर कराएं और ना जाने से पढ़ो जाने बचाए।

चाहे वह ब्लड डोनेट कर आना हो या प्लाज्मा प्रोवाइड कर आना हो या वैक्सीन लेना हो शाम में डॉक्टर सबसे पहले आगे रहे यही कारण है कि डॉक्टर की एक विशिष्ट छवि हमारे समाज में उभर कर आए हैं और धरती के भगवान के रूप में लोग उन्हें मानते हैं।

लेख:
Dr Vikas kumar
Dept of Neurosurgery RIMS
, Ranchi