झारखंड लोकसभा चुनाव: दलबदलुओं को जनता ने नकारा
Jharkhand Lok Sabha Elections 2024
रांची : संसद पहुंचने की चाह में पाला बदलने वाले नेताओं को जनता ने नकार दिया है। अपनी पुरानी पार्टी छोड़ कर दूसरे दल का दामन थाम कर चुनाव लड़ने वालों में कोई भी जीत की मंजिल तक नहीं पहुंच सका। पाला बदलने वालों में सीता सोरेन, जेपी पटेल, गीता कोड़ा, चमरा लिंडा और लोबिन हेम्ब्रम शामिल हैं।
आगामी विधानसभा के मानसून सत्र में सदन के भीतर नजारा दिलचस्प होगा। सीता सोरेन ने लोकसभा चुनाव से पूर्व झामुमो छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। इसके बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित भी कर दिया था। सीता ने भाजपा की टिकट पर दुमका लोकसभा सीट से ताल ठोका था, जिसमें वे झामुमो विधायक नलिन सोरेन से हार गयीं। यूं तो जामा विधायक सीता सोरेन ने झामुमो से इस्तीफा दे दिया था और विधायकी भी छोड़ दी थी। हालांकि, उन्होंने अपने इस्तीफे की मूल कॉपी विधानसभा स्पीकर को अब तक नहीं दी है। ऐसे में उनके मामले में फैसला लिए जाने तक सदन के भीतर वे झामुमो विधायक के तौर पर ही दिखेंगी।
लोबिन हेंब्रम ने भी अपनी पार्टी झामुमो से बगावती रूख अख्तियार करते राजमहल सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था पर हार गये। उनके रवैये पर झामुमो ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया लेकिन विधानसभा को इससे मतलब नहीं। ऐसे में सदन के भीतर फिर से लोबिन भी झामुमो विधायकों संग दिखेंगे। चमरा लिंडा को झामुमो ने निलंबित कर दिया था। वे लोहरदगा सीट पर चुनाव लड़े थे जहां कांग्रेस के सुखदेव भगत विजयी हुए। इन सबके बावजूद अब सदन के भीतर चमरा सत्तापक्ष की तरफ से ही नजर आयेंगे।
विधायक जेपी पटेल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा छोड़ कांग्रेस की सदस्यता ले ली थी और हजारीबाग से ताल ठोका था। हालांकि, जीत उनके नसीब में नहीं आयी। अब जब उनके खिलाफ नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने स्पीकर के पास दलबदल का मामला दर्ज कराया है तो देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा उनके साथ कैसे चलती है। चूंकि, स्पीकर के पास बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव जैसे विधायकों के दलबदल का मामला पिछले कई सालों से लंबित ही है तो ऐसे में जेपी पटेल का मामला भी अभी लंबा खींचे जाने की आशंका है। ऐसी स्थिति में पटेल एक बार फिर सदन के भीतर भाजपा की ओर ही बैठे दिखेंगे।
झारखंड विधानसभा में पारिवारिक रिश्तों की झलक देखने को मिलेगी। शिबू सोरेन परिवार के कई सदस्य एक साथ होंगे। पति-पत्नी (हेमंत सोरेन-कल्पना सोरेन) के अलावा देवर-भाभी (हेमंत, बसंत, सीता, कल्पना), देवरानी-जेठानी (कल्पना-सीता) जैसे रिश्ते भी वर्तमान विधानसभा में दिखेंगे।
लोकसभा चुनाव में भाजपा और झामुमो के दो-दो विधायक अब सांसदी का सफर तय कर चुके हैं। इनमें हजारीबाग से मनीष जायसवाल, धनबाद से ढुल्लू महतो (दोनों भाजपा), नलिन सोरेन (शिकारीपाड़ा) और जोबा मांझी (मनोहरपुर) शामिल हैं। ऐसे में विधानसभा के भीतर चार सीटें इस विधानसभा के शेष कार्यकाल तक खाली ही नजर आएंगी।
वैसे तो छह महीने से अधिक समय तक रिक्त सीटों पर चुनाव कराने का प्रावधान है लेकिन चूंकि दिसंबर महीने के आखिरी सप्ताह तक ही वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल शेष है। ऐसे में लगता नहीं कि इन चार सीटों के लिए चुनाव होंगे। ऐसी स्थिति में हजारीबाग, धनबाद, शिकारीपाड़ा और मनोहरपुर सीट का प्रतिनिधित्व करता कोई नहीं दिखेगा। अब आगामी विधानसभा चुनाव के बाद ही कोई नया चेहरा इन सीटों पर दिखेगा।
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