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Thursday, April 25, 2024
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रांची: 15 लाख के इनामी माओवादी रीजनल कमांडर इंदल गंझू ने किया आत्मसमर्पण

रांची : प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी रीजनल कमांडर और 15 लाख के इनामी इंदल गंझू उर्फ ललन गंझू ने गुरुवार को रांची जोनल आईजी कार्यालय में आत्मसमर्पण कर दिया। इंदल गंझू ने आईजी अभियान एवी होमकर, रांची जोनल आईजी पंकज कंबोज, सीआरपीएफ के आईजी विधि कुमार विधि, हजारीबाग के डीआईजी नरेंद्र सिंह और चतरा के एसपी राकेश रंजन के सामने सरेंडर कर दिया।

Ranchi maoist commander surrendered

इंदल गंझू के खिलाफ 145 मामले हैं दर्ज

इंदल मूल रूप से बिहार के गया जिले के इमामगंज थाना क्षेत्र के असरैन गांव के रहने वाले हैं। वर्तमान में वह भाकपा माओवादी संगठन में रीजनल कमांडर था और सरकार ने उस पर 15 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। पुलिस के लगातार नक्सल विरोधी अभियान से परेशान इंदल ने सरेंडर कर दिया है। इंदल गंझू के खिलाफ 145 मामले दर्ज हैं। इनमें से चतरा जिले में 48, पलामू जिले में एक, हजारीबाग जिले में पांच और बिहार के गया में 78 और औरंगाबाद में 13 मामले दर्ज हैं।

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नक्सलियों को समाज की मुख्य धारा में जोड़ना मुख्य उदेश्य

इस अवसर पर आईजी अभियान एवी होमकर ने कहा कि सरकार ने झारखंड को नक्सल मुक्त राज्य बनाने का संकल्प लिया है। इस संकल्प को धरातल पर उतारने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है और इस दिशा में पुलिस को नक्सली संगठनों के खिलाफ सफलता भी मिल रही है। वहीं दूसरी ओर भटके हुए नक्सलियों को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए राज्य सरकार की समर्पण और पुनर्वास नीति नई दिशा का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इसका उद्देश्य नक्सलियों को समाज की मुख्य धारा में जोड़ना है, जो किसी कारण से नक्सलवाद के रास्ते में भटक गये हैं। इसी क्रम में इंदल गंझू उर्फ ललन गंझू उर्फ उमा उर्फ बढ़न ने सरेंडर कर दिया है। उसके आत्मसमर्पण से भाकपा माओवादियों को बड़ा झटका लगा है।

जमीन विवाद में इंदल बना था नक्सली

इंदल गंझू ने कहा कि वह जमीन विवाद के चलते नक्सली संगठन भाकपा माओवादी में शामिल हो गया था। इंदल ने कहा कि वह 2003 से भाकपा माओवादी संगठन से जुड़ा हुआ था। उसके गांव के गोतियों ने उसकी जमीन हड़प ली थी। इस वजह से वह संगठन से जुड़ा। इसके बाद उसके गोतिया डर के मारे उसकी जमीन छोड़कर चले गये। भाकपा माओवादी की बिहार रिजनल कमेटी के तहत मध्य जोन के शीर्ष नेता संदीप यादव की मौत के बाद, इंदल ने संगठन के विस्तार और नीतियां निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।