Sunday, October 6, 2024
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चांद पर उतरकर भारत ने रचा इतिहास, चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग

Chandrayaan-3 successful landing

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी साउथ अफ्रीका से इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने

बेंगलुरु के इसरो कमांड सेंटर में वैज्ञानिकों की पूरी टीम ख़ुशी से झूम उठी

नयी दिल्ली : चांद की धरती पर उतरकर भारत ने बुधवार को इतिहास रच दिया। चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर तय समय पर 6 बजकर 4 मिनट पर चांद के उस हिस्से पर उतरा, जहां आज तक कोई भी नहीं पहुंचा था। इस ऐतिहासिक पल का सीधा प्रसारण होने से पूरा देश चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर कदम रखने की ऐतिहासिक घटना का गवाह बना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने गये साउथ अफ्रीका से इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने।

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना भारत

अमेरिका, रूस और चीन भारत से पहले चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं, इसलिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के मून मिशन पर नासा सहित पूरी दुनिया की निगाहें टिकी थीं, क्योंकि इसका सबसे बड़ा कारण यह रहा कि आज भारत का चंद्रयान-3 उस जगह पर उतरा है, जहां पर आज तक कोई देश नहीं पहुंच सका था। बेंगलुरु के इसरो कमांड सेंटर में वैज्ञानिकों की पूरी टीम के लिए यह बेहद अहम और तनाव भरा समय रहा, लेकिन भारत के चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जाने वाला दुनिया का पहला देश बनते ही सारे वैज्ञानिक ख़ुशी से झूम उठे और एक दूसरे को बधाई दी। चांद का दक्षिणी ध्रुव बेहद खास और रोचक इसलिए है, क्योंकि यहां हमेशा अंधेरा रहता है। साथ ही उत्तरी ध्रुव की तुलना में यह काफी बड़ा भी है। हमेशा अंधेरे में होने के कारण यहां पानी होने की संभावना भी जतायी जा रही है। इसरो ने चांद के इस हिस्से में मौजूद क्रेटर्स में सोलर सिस्टम के जीवाश्म होने की संभावना भी जतायी है। चंद्रयान-3 से भेजा गया प्रज्ञान रोवर चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर घूम कर इन सब बातों का पता लगायेगा।

अब क्या-क्या शोध करेगा प्रज्ञान रोवर

भारत का चंद्रयान-3 मिशन अब तक के मिशनों से अलग है। इस मिशन से व्यापक भौगौलिक, मौसम सम्बन्धी अध्ययन और चंद्रयान-1 द्वारा खोजे गये खनिजों का विश्लेषण करके चंद्रमा के अस्तित्त्व में आने और उसके क्रमिक विकास की और ज़्यादा जानकारी मिल पायेगी। चंद्रमा पर रहने के दौरान कई और परीक्षण भी किये जायेंगे, जिनमें चांद पर पानी होने की पुष्टि और वहां अनूठी रासायनिक संरचना वाली नयी किस्म की चट्टानों का विश्लेषण शामिल हैं। चंद्रयान-3 से चांद की भौगोलिक संरचना, भूकम्पीय स्थिति, खनिजों की मौजूदगी और उनके वितरण का पता लगाने, सतह की रासायनिक संरचना, ऊपर मिट्टी की ताप भौतिकी विशेषताओं का अध्ययन करके चन्द्रमा के अस्तित्व में आने तथा उसके क्रमिक विकास के बारे में नयी जानकारियां मिल सकेंगी।

क्या है रोवर प्रज्ञान

चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान 6-पहिये वाला एक रोबोट वाहन है, जो संस्कृत में ‘ज्ञान’ शब्द से लिया गया है। रोवर प्रज्ञान 500 मीटर (½ आधा किलोमीटर) तक यात्रा कर सकता है और सौर ऊर्जा की मदद से काम करता है। यह सिर्फ लैंडर के साथ संवाद कर सकता है। चांद की सतह पर लैंडिंग के करीब 2 घंटे के बाद विक्रम लैंडर का रैंप खुलेगा। इसी के जरिये 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा। इसी के जरिये चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र के अब तक के अछूते भाग के बारे में जानकारी मिलेगी। इसका वजन 27 किलोग्राम और विद्युत उत्पादन क्षमता 50 वॉट है। यह चांद की सतह पर मौजूद पानी या बाकी तत्वों का बारीकी से परीक्षण करेगा।

क्या होती है सॉफ्ट लैंडिंग

भारत ने पहली बार किसी उपग्रह पर अपने किसी यान की सॉफ्ट लैंडिंग करायी है। इस मिशन के सफल होने पर भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है, जिसके पास सॉफ्ट लैंडिंग की स्वदेशी तकनीक है। सॉफ्ट लैंडिंग में खतरे भी बहुत होते हैं और तमाम सावधानियां भी बरतनी पड़ती हैं। हवाई जहाज से कूदने पर थोड़ी ऊंचाई के बाद पैराशूट खोलकर जमीन पर उतरने को भी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कहा जाता है। अगर हवाई जहाज से कूदने वाला व्यक्ति पैराशूट न खोले, तो वह गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव और अपने वजन की वजह से तेजी से जमीन पर टकराएगा, जिससे उसे भारी नुकसान हो सकता है या उसकी मौत भी हो सकती है, लेकिन पैराशूट की वजह से वह सॉफ्ट लैंडिंग करता है। इसी तरह एयरपोर्ट पर लैंडिंग के वक्त विमान का पायलट पहले पिछले पहिये को रनवे पर लैंड कराता है, फिर अगले पहिये को। इससे प्लेन का वजन गति की दिशा में सही तरीके से नीचे आता है और लैंडिंग सेफ होती है। इसे भी सॉफ्ट लैंडिंग कहते हैं।

विक्रम लैंडर ने खुद तलाशी लैंडिंग की जगह

इसरो के मुताबिक चांद पर गुरुत्वाकर्षण शक्ति धरती की अपेक्षा 1/6 कम है। यानी वहां गिरने की गति ज्यादा तेज है, क्योंकि वहां वायुमंडल नहीं है, इसलिए घर्षण से गति कम करने की कवायद भी नहीं की जा सकती थी। इसलिए जब विक्रम लैंडर ने 25 किमी. की ऊंचाई से चांद की सतह पर उतरना शुरू किया, तो उसके नीचे लगे चारों इंजनों को ऑन कर दिया गया। इस तरह जो इंजन अभी तक विक्रम लैंडर को आगे बढ़ाने का काम कर रहे थे, वही इंजन विपरीत दिशा में दबाव बनाकर विक्रम की गति को कम करके 2 मीटर प्रति सेकंड पर ले आये और लैंडिंग से कुछ सेकंड पहले गति जीरो कर दी गयी। यह सारा काम विक्रम लैंडर में मौजूद ऑनबोर्ड कंप्यूटर ने किया। उसमें लगे सेंसर्स ने सही और गलत जगह की तलाश की और फिर विक्रम लैंडर अपने चारों पैरों के सहारे आराम से चांद की सतह पर उतर गया।

successful landing of Chandrayaan-3