The News Sense की खबर का असर, बालूमाथ में ग्रामीण सड़क से नहीं हुई कोयले की ढुलाई, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस, दिया साधुवाद
शशि भूषण गुप्ता/बालूमाथ
बालूमाथ के कुशमाही रेलवे कोयला साइडिंग का मामला
लातेहार : मंगलवार को जिले के बालूमाथ प्रखंड क्षेत्र स्थित कुशमाही रेलवे कोल साइडिंग में कोयला परिवहन में काफी सुधार देखा गया। बालूमाथ-चंदवा मुख्य मार्ग मकइयाटांड़ से हेमपुर, मुरगांव ग्रामीण सड़क से कोयला परिवहन नहीं हुआ। जिससे ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।
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मालूम हो कि कुशमाही रेलवे कोल साइडिंग में मुख्य सड़क से हेमपुर, मुरगांव ग्रामीण सड़क होते हुए सिमरसोत ग्रामीण सड़क से हाइवा वाहनों से कोयले का परिवहन किया जा रहा था। जहां आये दिन हाइवा वाहन चालक बीच सड़क पर ही वाहन खड़ा कर दे रहे थे। वाहनों के खड़ा होने से पैदल यात्रियों के साथ-साथ विभिन्न स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को आवागमन में काफी परेशानी हो रही थी। इस परेशानी की वजह से सोमवार को विभिन्न स्कूलों के सैकड़ों बच्चे समय पर स्कूल जाने से वंचित रह गये। वाहनों के परिचालन से उड़ती धूलकण से भी लोग काफी परेशान दिखे। मंगलवार को कोयला परिवहन के दौरान बालूमाथ मुख्य सड़क से सिमरसोत गांव के पूर्व रेलवे कोल साइडिंग तक जाने वाली सड़क पर आज नियमित छिड़काव भी होते देखा गया। इससे लोगों को धूल से राहत मिली।
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आपको बता दें कि सोमवार को The News Sense ने कोयला परिवहन के दौरान ग्रामीणों को हो रही परेशानी की खबर प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसका असर आज मंगलवार को देखने को मिला। प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों ने न्यूज सेंस की खबर पर अपनी सहमति की मुहर लगाते हुए साधुवाद दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि जनसमस्याओं की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित करने से लोगों में न्यूज सेंस के प्रति विश्वास के साथ खबरों के प्रति आस्था भी बढ़ी है। न्यूज सेंस समाचार प्रकाशित कर प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों की आवाज बन गया है।
मालूम हो कि जिस ग्रामीण सड़क से कोयले की ढुलाई हो रही थी उस सड़क पर आंगनबाडी केंद्र, स्वास्थ्य केंद्र भैंसादोन, मध्य विद्यालय हेमपुर, मध्य विद्यालय मुरगांव, मध्य विद्यालय सिमरसोत, उत्क्रमित उच्च विद्यालय समेत कई सरकारी व गैर सरकारी शिक्षण संस्थान हैं, इस ग्राणीण सड़क पर हजारों की संख्या में लोग हर दिन यात्रा करते हैं। वहीं उक्त विद्यालय के बच्चे भी इसी रास्ते से आवागमन करते हैं। लेकिन कोयला परिवहन के दौरान उड़ने वाले धूल कणों के कारण उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था।
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