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Monday, May 6, 2024
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लातेहार: नियमों की अनदेखी कर बालूमाथ में ग्रामीण सड़क से हो रही कोयले की ढुलाई, सैकड़ों बच्चे स्कूल जाने से वंचित

लातेहार : बालूमाथ प्रखंड क्षेत्र स्थित कुशमाही रेलवे कोल साइडिंग में नियमानुसार कोयला परिवहन नहीं होने के कारण सोमवार को सैकड़ों बच्चे विभिन्न स्कूलों में जाने से वंचित हो गये। उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

बालूमाथ-चंदवा मुख्य मार्ग पर स्थित मकइयाटांड़ से लेकर सेमरसोत व हेमपुर, मुरगांव तक दोनों ग्रामीण सड़कों की यही स्थिति है। इस सड़क पर लगभग हर दिन हाइवा वाहनों की लंबी कतार लगी रहती है और बच्चों के साथ ग्रामीणों के आने के साथ-साथ विभिन्न स्कूलों के वाहन भी आते हैं। उनका परिवहन ठप हो जाता है और वे समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं। कभी-कभी तो बच्चे स्कूल जाने से पूरी तरह वंचित हो जाते हैं। आज सुबह भी यही स्थिति बनी रही। जहां सुबह आठ बजे से दस बजे तक कई स्कूली वाहन जाम में फंसे रहे। कई बच्चे घर लौट आये और कुछ बच्चे देर से स्कूल पहुंचे।

ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त मार्ग पर प्रतिदिन सैकड़ों बच्चे यात्रा करते हैं। आंगनबाड़ी केंद्र, स्वास्थ्य केंद्र, भैंसादोन मध्य विद्यालय, सेमरसोत उत्क्रमित उच्च विद्यालय, हेमपुर मध्य विद्यालय, मुरगांव मध्य विद्यालय मुख्य सड़क के किनारे स्थित हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि बच्चे स्कूल कैसे जाते हैं। अपनी जान जोखिम में डालने के बावजूद, उन्हें हमेशा कोयले की धूल खाते हुए साइकिल चलाते हुए स्कूल जाते देखा जा सकता है।

ग्रामीणों का आरोप है कि कोयला परिवहन के दौरान हाईवा चालक मनमानी करते हुए वाहनों को बीच सड़क पर ही खड़ा कर देते हैं, जिससे अन्य वाहनों का परिचालन पूरी तरह से ठप हो जाता है। रेलवे ब्रिज के अंदर भी ऐसा ही है। साथ ही सड़क पर कोयला लदे वाहन खड़े रहते हैं, जिसके कारण बाइक के अलावा अन्य वाहनों को उस मार्ग पर चलने की अनुमति नहीं होती है। जबकि उक्त ग्रामीण सड़क मानी जाती है, जहां से व्यवसायिक कोयले की ढुलाई धड़ल्ले से की जा रही है, जो सरकारी नियमों के अनुसार गलत है।

इस मार्ग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि कोयला परिवहन सुविधा होने के बावजूद संबंधित संचालक द्वारा सड़कों पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव नहीं किये जाने के कारण लोगों को इस मार्ग पर चलना काफी कष्टकारी हो रहा है।

वहीं ग्रामीणों का कहना है कि पानी छिड़काव की मांग के साथ-साथ जब लोग उड़ती धूल पर रोक लगाने की बात करते हैं तो लोग अपनी ऊंची पहुंच का दंभ दिखाते हुए उन पर सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप लगाते हैं और कानूनी कार्रवाई करने की बात करते हैं। ऐसे में प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण चुप रहना ही बेहतर समझते हैं। जबकि क्षेत्र के ग्रामीणों ने कई बार प्रखंड सहित जिले के वरीय अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्याओं से अवगत कराया है। लेकिन अब तक किसी भी अधिकारी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।